राज्यसभा में बॉयलर विधेयक 2024 पर चर्चा चल रही है। यह बॉयलर अधिनियम, 1923 को निरस्त करता है। इस विधेयक में बॉयलर के अंदर काम करने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और योग्य लोगों द्वारा बॉयलर की मरम्मत सुनिश्चित करने के लिए विशिष्ट प्रावधान किए गए हैं। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने विधेयक पेश किया।
चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के बृजलाल ने विधेयक का स्वागत करते हुए कहा कि यह उद्योगों में श्रमिकों की सुरक्षा के लिए है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने व्यापार करने में आसानी पर ध्यान केंद्रित किया है और सुरक्षा इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
कांग्रेस के नीरज डांगी ने कहा कि बॉयलर विधेयक में प्रावधान कुछ क्षेत्रों को अधिनियम के संचालन से बाहर करने की अनुमति देता है। उन्होंने सवाल किया कि इससे सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी।
सीपीआईएम के डॉ. जॉन ब्रिटास ने कहा कि बॉयलर्स बिल में कोई दम नहीं है। उन्होंने कहा कि यह नई बोतल में पुरानी शराब है।
तृणमूल कांग्रेस की मौसम नूर ने कहा कि बॉयलर विधेयक 2024 केवल प्रतीकात्मक है क्योंकि कई प्रावधान पिछले विधेयक जैसे ही हैं।
बीजू जनता दल की सुलता देव ने कहा कि कारखानों और उद्योगों में अधिकारी बॉयलरों का ठीक से निरीक्षण नहीं करते हैं जिसके परिणामस्वरूप दुर्घटनाएं और विस्फोट होते हैं।
एनसीपी-एसपी की डॉक्टर फौजिया खान ने कहा कि बॉयलर विधेयक में स्थिरता और पर्यावरण से संबंधित पर्याप्त प्रावधान शामिल नहीं हैं। उन्होंने कहा कि विधेयक में यांत्रिक खराबी के लिए दंड पर्याप्त नहीं है।
अन्नाद्रमुक के एम. थंबीदुरई, सीपीआई के पीपी सुनीर, डीएमके के एपी सेल्वारासु, वाईएसआरसीपी के गोला बाबूराव और भाजपा के संभू शरण पटेल, दिनेश शर्मा, सीमा द्विवेदी और समिक भट्टाचार्य ने अन्य लोगों के साथ चर्चा में भाग लिया।