मुख्य सचिव आनंद बर्धन ने पूरे राज्य में जबरखेत मॉडल को आधार बनाकर बड़े पारिस्थितिकी पर्यटन स्थल विकसित करने के निर्देश दिये हैं। जबरखे़त मॉडल पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय लोगों की भागीदारी से ईको टूरिज्म को जोड़ने का एक बेहतरीन उदहारण है। मसूरी के पास स्थित जबरखेत नेचर रिज़र्व भारत का पहला निजी रूप से संचालित वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र है। यह मॉडल पर्यावरण संरक्षण, स्थानीय समुदाय की भागीदारी और ईको-पर्यटन को सफलतापूर्वक जोड़ता है। पूर्व में उजड़ चुके इस क्षेत्र को स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों की मदद से पुनर्जीवित किया गया, जहां अब सैकड़ों पक्षियों, तितलियों और जंगली जानवरों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
मुख्य सचिव ने इसी मॉडल को अपनाकर बड़े इको टूरिज्म डेस्टिनेशन विकसित किए करने पर जोर दिया है। राज्य स्तरीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक में उन्होंने कहा कि ऐसे स्थलों के चारों ओर छोटे-छोटे वन पर्यटन स्टेशन बनाए जाएं, जहां फॉरेस्ट ट्रैकिंग, बर्ड वॉचिंग, वाइल्डलाइफ सफारी, हेरिटेज ट्रेल, इको कैंपिंग और नेचर एडवेंचर जैसी गतिविधियां उपलब्ध हों।
मुख्य सचिव ने कहा कि इन डेस्टिनेशन को एक संपूर्ण पैकेज के रूप में विकसित किया जाए और उनकी मार्केटिंग व संचालन की प्रभावी योजना तैयार की जा सके।
उन्होंने सुझाव दिया कि पहले चरण में 20 से 25 ऐसे स्थलों का चयन किया जाए जहां विकास की अच्छी संभावनाएं हों और जिनका विकास आसान हो। उन्होंने अस्सी के दशक से बंद नंदा देवी चोटी वाले क्षेत्र में इको टूरिज्म की संभावनाएं तलाशने के लिए भी अध्ययन करने को कहा।