उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि भाषाओं के मामले में भारत का दुनिया में अद्वितीय स्थान है और इसकी भाषाओं का साहित्य ज्ञान का भंडार है। नई दिल्ली में भारतीय सांख्यिकी सेवा के परिवीक्षाधीन अधिकारियों से बातचीत में श्री धनखड़ ने कहा कि भारत की समावेशिता इसकी भाषाओं में झलकती है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा को विशेष रूप से प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा कि अब चिकित्सा और इंजीनियरिंग की शिक्षा भी स्थानीय भाषाओं में दी जा रही है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत में इस समय अभूतपूर्व आर्थिक वृद्धि और अभूतपूर्व बुनियादी ढांचे का विकास हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की प्रगति में सिविल सेवक हमारे गतिशील राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देने वाले वास्तुकारों के रूप में कार्य करते हैं। श्री धनखड़ ने आगामी जनगणना में जाति आधारित गणना शामिल करने के सरकार के निर्णय की भी प्रसंशा की। उन्होंने कहा कि यह निर्णय परिवर्तनकारी कदम होगा।