भारत के एक सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने कल सऊदी अरब में अपना तीन दिवसीय राजनयिक मिशन सम्पन्न किया। प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में सीमापार हमलों के मद्देनजर आतंकवाद के खिलाफ भारत के अडिग रुख पर जोर दिया।
भाजपा सांसद बैजयंत पांडा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने अप्रैल में हुए जघन्य आतंकवादी हमले के बाद भारत की जवाबी सैन्य कार्रवाई के बारे व्यापक रूप से विश्व को अवगत कराने के मिशन के रूप में सऊदी के विचारकों और भारतीय प्रवासियों के साथ व्यापक बातचीत की।
प्रतिनिधिमंडल की यात्रा 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के जवाब में हुई है, जहां पांच हथियारबंद आतंकवादियों ने 25 पर्यटकों और एक स्थानीय निवासी सहित 26 लोगों की हत्या कर दी थी। यह घटना कश्मीर में सबसे घातक हमलों में से एक थी। इस घटना के बाद भारत को ऑपरेशन सिंदूर शुरू करना पडा, जिसे प्रतिनिधिमंडल ने “आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक नया मानक” स्थापित करने के रूप में प्रस्तुत किया।
सऊदी अरब की अपनी यात्रा के दौरान भारतीय प्रतिनिधियों ने रियाद में खाड़ी अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष डॉ. अब्दुलअजीज सेगर और नाइफ अरब सुरक्षा विज्ञान विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. अब्दुलमजीद अल्बान्यान से मुलाकात की। चर्चा में सीमा पार आतंकवाद के साथ भारत के तीन दशक के संघर्ष का उल्लेख किया गया और आतंकवाद विरोधी प्रयासों के लिए एआई और क्वांटम कंप्यूटिंग सहित उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की गई।
प्रतिनिधिमंडल ने इस बात पर जोर दिया कि पहलगाम हमला जम्मू कश्मीर में आर्थिक प्रगति को कमजोर करने और पूरे भारत में सांप्रदायिक तनाव भड़काने के लिए किया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे देश की एकीकृत प्रतिक्रिया ने ऐसे खतरों के खिलाफ भारत के सामूहिक संकल्प को प्रदर्शित किया। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि देश को विभाजित करने के सभी प्रयासों का व्यापक प्रतिरोध किया गया।
सऊदी अरब का यह मिशन एक व्यापक कूटनीतिक अभियान का हिस्सा है, जिसमें 59 सदस्यों वाले सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल 32 देशों का दौरा कर आतंकवाद को कतई बर्दाश्त न करने के भारत के दृष्टिकोण को व्यक्त करेंगे। इस पहल का उद्देश्य भारत के रूख पर अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाना है। साथ ही उस खोखले प्रचार का मुकाबला करना है जो आतंकवादी गतिविधियों को उचित ठहरा सकता है।
सऊदी अरब में भारतीय प्रवासियों के साथ प्रतिनिधिमंडल की बातचीत ने भारत के विकास में समुदाय की भूमिका की चर्चा की और आतंकवाद की निंदा करने में सऊदी अरब के निरंतर समर्थन को स्वीकार किया। इस यात्रा ने दोनों देशों के बीच बढ़ते सुरक्षा सहयोग को मजबूत किया और विशेष रूप से आतंकवाद-रोधी और क्षेत्रीय स्थिरता के क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार किया।
यह व्यापक कूटनीतिक अभियान सीमापार कथित आतंकवादी शिविरों पर भारत के सैन्य हमलों के बाद शुरू हुआ है। यह अभियान सीमा पार आतंकवाद से निपटने में भारत की ‘नई सामान्य नीति’ की ओर बदलाव का संकेत है।