रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने अपनी द्विमासिक नीति में आज रेपो रेट में उम्मीद से अधिक 50 अंकों की कटौती कर साढ़े पांच प्रतिशत कर दिया। इससे पहले, रिज़र्व बैंक ने फरवरी और अप्रैल में भी 25 अंकों की कटौती की थी और ऐसी संभावना थी कि इस बार भी रिज़र्व बैंक 25 अंकों की ही कटौती करेगा। वर्ष 2025 में रेपो रेट में अब तक कुल एक प्रतिशत की कटौती हो चुकी है।
रिज़र्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि ब्याज दरों में कटौती से वैश्विक अनिश्चितता के परिदृश्य में देश की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि मध्यम दौर में महंगाई दर चार प्रतिशत से नीचे रही है और आशा है कि वैश्विक स्तर में कमोडिटी की कीमतों और बेहतर मॉनसून से महंगाई में नरमी रहेगी। इससे रिज़र्व बैंक को आर्थिक वृद्धि पर ध्यान देने का पर्याप्त मौका मिला है।
रिज़र्व बैंक ने बाजार में मौद्रिक तरलता को मजबूती देने के लिए नकद आरक्षित अनुपात-सी आर आर में भी एक प्रतिशत की कटौती की है। स्टैंडिंग डिपॉजिट फेसिलिटी-एस डी एफ और लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फेसिलिटि-एल ए एफ में सुधार कर पांच दशमलव दो-पांच प्रतिशत किया गया है। मार्जिनल स्टैंडिंग फेसिलिटी-एम एस एफ दर और बैंक दर को पांच दशमलव सात-पांच प्रतिशत किया गया है।
रेपो रेट में 50 अंकों यानी आधा प्रतिशत की कटौती से उम्मीद है कि सभी तरह के ऋण पर ब्याज दरों में आधा प्रतिशत की कटौती हो सकेगी। बैंक भी ब्याज दरों में इस कटौती का लाभ उपभोक्ताओं को देंगे।
हालांकि, रिज़र्व बैंक ने वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर मौद्रिक नीति में बदलाव कर इसे तटस्थ किया है। रिज़र्व बैंक के गवर्नर के अनुसार बैंक अगला कदम भविष्य के आंकड़ों के अनुसार तय करेगा।
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत की मजबूत आर्थिक बुनियाद से रिज़र्व बैंक ने वर्ष 2025-26 के लिए देश की विकास दर के अनुमान को साढ़े छह प्रतिशत पर बरकरार रखा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2026 के लिए महंगाई दर के अनुमान को चार प्रतिशत से घटाकर तीन दशमलव सात प्रतिशत किया गया है।
श्री मल्होत्रा ने कहा कि घरेलू अर्थव्यवस्था, महंगाई और वृद्धि दर पर बेहतर तरीके से प्रगति कर रही है। रिज़र्व बैंक बाजार में मौद्रिक तरलता पर निगरानी बनाए रखेगा और समय पर उचित कदम उठाएगा।
मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक चार अगस्त से छह अगस्त के दौरान होगी।