प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारत के जल का उपयोग देश के हित में ही किया जायेगा और उसका संरक्षण भारत की प्रगति में उपयोग के लिए होगा।
नई दिल्ली में कल एक निजी टीवी चैनल के सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने अतीत के परिदृश्य का उल्लेख किया जब भारत के लिए उपयुक्त और उसके हिस्से का जल सीमाओं से बाहर जा रहा था। उन्होंने कहा कि अब भारत का पानी भारत में ही रहेगा और देश के विकास के लिए उपयुक्त उद्देश्यों से उसका उपयोग किया जायेगा।
नदियों को जोडने की दिशा में सरकार की ओर से किए गए महत्वपूर्ण कार्यों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दशकों से नदियों के जल का उपयोग राज्यों के बीच विवाद खडे करने के लिए किया जाता रहा है।
उन्होंने केन-बेतवा लिंक परियोजना और पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना जैसी प्रमुख परियोजनाओं का उदाहरण देते हुए इस बात पर बल दिया कि इन पहलों से जल की उपलब्धता सुनिश्चित करके करोडों किसानों को लाभ पहुंचाया जाएगा।
भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह समझौता आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देगा और भारतीय व्यापार और सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यमों के लिए अवसर पैदा करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने यूएई, ऑस्ट्रेलिया और मॉरीशस के साथ व्यापार समझौते किए हैं।
उन्होंने कहा की भारत दुनिया के साथ सक्रियता से जुड़ा है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी बल दिया कि भारत ना केवल सुधारों को लागू कर रहा है बल्कि भारत को व्यापार और वाणिज्य का जीवंत केंद्र बनाने के लिए विश्व के साथ सक्रियता से मिलकर काम कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विगत 10 से 11 वर्षों में उनकी सरकार ने कई निर्णायक कदम उठाये हैं ताकि राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी के कारण लम्बे समय से लम्बित और दशकों से अनसुलझे मुद्दों को सुलझाया जा सके।
उन्होंने कहा कि 2014 से पहले बैंकिंग क्षेत्र ध्वस्त होने की कगार पर था, लेकिन आज भारत की बैंकिंग प्रणाली दुनिया की सबसे मजबूत बैंकिंग प्रणालियों में से एक है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बैंक रिकॉर्ड मुनाफा कमा रहे हैं और जमाकर्ता उनकी सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यह उल्लेखनीय परिवर्तन उनकी सरकार की ओर से लागू किए गए प्रमुख सुधारों का परिणाम है, जिसमें इस क्षेत्र को मजबूत करने के लिए छोटे बैंकों का रणनीतिक तौर पर विलय भी शामिल है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरकार ने मानव-केंद्रित वैश्वीकरण का रास्ता चुना है, जिसमें विकास केवल बाजारों की ओर से निर्धारित नहीं किया जाता है, बल्कि व्यक्तियों के गरिमापूर्ण जीवन जीने और अपने सपनों को हासिल करने की क्षमता से मापा जाता है। श्री मोदी ने कहा कि यह विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मानदंड प्रस्तुत करता है।
उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद पर केंद्रित दृष्टिकोण का पालन करने के बजाय, सरकार प्रगति के जीईपी-केंद्रित मॉडल से लोगों के पूर्ण सशक्तिकरण की ओर बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि यह दृष्टिकोण सभी के सशक्तिकरण और कल्याण को प्राथमिकता देता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले एक दशक में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस महीने मुंबई में आयोजित भारत के पहले विश्व ऑडियो विजुअल एंटरटेनमेंट समिट-वेव्स के बारे में बात करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम में मीडिया, मनोरंजन और रचनात्मक उद्योगों से जुड़े दुनिया भर के बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि केवल यूट्यूब ने पिछले तीन वर्षों में भारतीय कंटेंट क्रियेटरों को 21 हजार करोड रुपये का भुगतान किया है। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि यह साबित हो चुका है स्मॉर्ट फोन अब संचार के साधन से आगे बढकर रचनात्मकता और आमदनी हासिल करने के शक्तिशाली उपकरण बन चुके हैं।