प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज आपदा से बचाव उपायों को मजबूत करने के लिए प्रमुख वैश्विक प्राथमिकताएं रेखांकित कीं। इनमें नवीन वित्तपोषण और पूर्व चेतावनी प्रणाली और समन्वय को मजबूत करना शामिल है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आपदा बचाव के बुनियादी ढांचे पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन-सीडीआरआई-2025 को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने विकास में लचीलेपन की आवश्यकता पर बल देते हुए ऐसे बुनियादी ढांचे के निर्माण का आह्वान किया जो आपदा के दौरान अडिग रहे। उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रति तटीय क्षेत्रों और द्वीपों की नाजुकता को रेखांकित किया। विनाशकारी आपदाओं के साथ भारत के पिछले अनुभवों को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे भारत ने लचीलेपन के अनुकूल पुन-र्निर्माण किया। उन्होंने कहा कि भारत के प्रयासों से 29 देशों को लाभ पहुंचाने वाली सुनामी चेतावनी प्रणाली की स्थापना संभव हुई। उन्होंने लचीले घरों, अस्पतालों, स्कूलों, ऊर्जा प्रणालियों, जल सुरक्षा उपायों और पूर्व चेतावनी प्रणालियों के निर्माण के लिए 25 विकासशील लघु द्वीप राष्ट्रों के साथ जारी सीडीआरआई के काम को रेखांकित किया।
प्रधानमंत्री ने प्रशांत हिंद महासागर और कैरिबियन क्षेत्रों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति की सराहना की और गठबंधन में अफ्रीकी संघ की भागीदारी का स्वागत किया। उन्होंने उच्च शिक्षा में आपदा-प्रबंधन पाठ्यक्रम, मॉड्यूल और कौशल विकास कार्यक्रमों को एकीकृत करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने आपदाओं का सामना करने वाले और लचीलेपन के साथ पुन-र्निर्माण करने वाले देशों से सर्वोत्तम प्रथाओं और अनुभवों को प्रलेखित करने के लिए एक वैश्विक डिजिटल भंडार की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि आपदा बचाव क्षमता के लिए अभिनव वित्तपोषण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों की वित्त तक पहुंच सुनिश्चित करने और व्यावहारिक कार्यक्रम बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने छोटे द्वीप विकासशील राष्ट्रों को बड़े महासागर देशों के रूप में भारत की मान्यता की पुष्टि की और उनकी कमजोरियों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने समय पर निर्णय लेने और प्रभावी संचार सुविधा के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
श्री मोदी ने कार्यक्रम के आयोजन में उनके समर्थन के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन और फ्रांस सरकार का आभार व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने आगामी संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन के लिए अपनी शुभकामनाएं भी दीं।