प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गांवों को विकास और अवसरों के जीवंत केन्द्रों में बदलकर ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने के सरकार के दृष्टिकोण पर बल दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार, गांवों के लोगों के लिए गरिमापूर्ण जीवन की प्राथमिकता के साथ, वर्ष 2014 से निरन्तर ग्रामीण भारत के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने हर गांव में बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए एक अभियान शुरू किया है। नई दिल्ली के भारत मंडपम में ग्रामीण भारत महोत्सव के उद्घाटन के बाद अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री ने यह बात कही। छह दिन का यह महोत्सव 9 जनवरी तक चलेगा। इसका विषय – विकसित भारत 2047 के लिए आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत का निर्माण और सिद्धांत-गांव बढ़े तो देश बढ़े है।
श्री मोदी ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों के विकास के लिए प्रधानमंत्री जनमन योजना की शुरूआत से दशकों से विकास से वंचित क्षेत्रों को समान अधिकार मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में उनकी सरकार ने पिछली सरकारों की कई गलतियों को सुधारा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ग्रामीण विकास के माध्यम से राष्ट्रीय विकास के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों के परिणामस्वरूप 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं, जिनमें से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों से हैं। श्री मोदी ने भारतीय स्टेट बैंक के हालिया अध्ययन का भी उल्लेख किया, जिससे पता चला है कि भारत में ग्रामीण गरीबी 2012 में लगभग 26 प्रतिशत से घटकर 2024 में 5 प्रतिशत से भी कम हो गई है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि गरीबों, किसानों, युवाओं और महिलाओं के कल्याण तथा आर्थिक सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं लागू की जा रही हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस महोत्सव में आदिवासियों और पूर्वोत्तर के उत्पादों को भारत मंडपम में लगाए गए स्टॉल पर प्रदर्शित किया जाएगा, जिनके लिए कारीगरों को बिना किसी जमानत के बैंक ऋण दिया गया है। महोत्सव में जीवंत प्रदर्शनों और प्रदर्शनियों के माध्यम से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाया जाता है। महोत्सव का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य उद्यमिता के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना है। यह सहयोगात्मक और सामूहिक ग्रामीण परिवर्तन के लिए रोडमैप बनाने के लिए सरकारी अधिकारियों, ग्रामीण उद्यमियों, कारीगरों और विभिन्न क्षेत्रों के हितधारकों को एक साथ लाएगा। इस आयोजन का उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत पर विशेष ध्यान देते हुए ग्रामीण आबादी के बीच आर्थिक स्थिरता और वित्तीय सुरक्षा को बढ़ावा देना है।