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मई 22, 2025 7:12 अपराह्न

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पाकिस्तान के साथ कोई भी बातचीत द्विपक्षीय होनी चाहिए-विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल

भारत ने फिर कहा है कि पाकिस्तान के साथ उसकी कोई भी बातचीत द्विपक्षीय होनी चाहिए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने नई दिल्ली में संवाददाता सम्‍मेलन में कहा कि बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते। उन्‍होंने कहा कि भारत उन कुख्यात आतंकवादियों को उसे सौंपने पर चर्चा के लिए तैयार है, जिनकी सूची कुछ साल पहले पाकिस्तान को दी गई थी। प्रवक्‍ता ने इस बात पर जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर पर कोई भी द्विपक्षीय चर्चा केवल पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करने पर होगी। सिंधु जल संधि पर उन्‍होंने कहा कि यह तब तक स्थगित रहेगी, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से त्याग नहीं देता।

    श्री रणधीर जायसवाल ने बहुदलीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल पर कहा कि यह एक राजनीतिक मिशन है। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद से लड़ने के अपने संकल्प को व्यक्त करना चाहता है। प्रवक्‍ता ने कहा कि भारत का लक्ष्‍य आतंकवाद के खिलाफ दुनिया को एकजुट करना है। श्री जायसवाल ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल दुनिया के 33 देशों में जा रहे हैं । ये देश भारत के मजबूत अंतरराष्ट्रीय साझेदार हैं और इनमें से अधिकांश देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य भी हैं।

    एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए प्रवक्‍ता ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि तुर्की पाकिस्तान से, सीमा पार आतंकवाद को अपना समर्थन बंद करने और दशकों से अपने यहां पनप रहे आतंकी तंत्र के खिलाफ विश्वसनीय और सत्यापन योग्य कार्रवाई करने का पुरजोर आग्रह करेगा। उन्होंने कहा कि देशों के बीच संबंध एक-दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर बनते हैं।

    श्री रणधीर जायसवाल ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री तथा सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि वांग यी ने 10 मई को एक-दूसरे से बात की थी। उन्होंने कहा कि श्री डोभाल ने उन्‍हें, पाकिस्तान से उत्पन्न सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ रुख से अवगत कराया था। श्री जायसवाल ने कहा कि चीन जानता है कि आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता भारत-चीन संबंधों का आधार हैं। अमरीका में लॉबी फर्मों को काम पर रखने के बारे में प्रवक्ता ने कहा कि यह कोई नई प्रथा नहीं है और यह कई दशकों से चली आ रही है। इन फर्मों को स्थिति की आवश्यकता के अनुसार दूतावास द्वारा नियमित रूप से नियुक्त किया जाता रहा है। श्री जायसवाल ने कहा कि ऐसी सभी नियुक्तियाँ पब्लिक डोमेन में उपलब्ध हैं। 2007 में परमाणु समझौते से पहले और उसके बाद, भारत के मामले को मजबूत करने के लिए इन फर्मों को नियुक्त किया गया था। प्रवक्ता ने कहा कि वाशिंगटन डीसी और अमरीका के अन्य हिस्सों में दूतावासों और अन्य संगठनों में ऐसी प्रथा आम है।

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