पर्वतीय क्षेत्रों में बहुतायत मात्रा में पाए जाने वाले चीड़ के पत्ते यानी पिरूल, कोको पीट का विकल्प बनेगा। चम्पावत वन प्रभाग द्वारा विभाग की बस्तियां नर्सरी में पाइन पीट का प्रयोगिक उपयोग कर इसे मिट्टी रहित खेती के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। पाइन पीट की उपयोगिता से जहां अत्यधिक मात्रा में पिरूल के निस्तारण में सहायता मिलेगी, वहीं जैविक कंपोस्ट के रूप में नर्सरी में पौध तैयार करने से भी इसकी उपयोगिता बढ़ेगी।
जिले के प्रभागीय वनाधिकारी एन.सी. पंत ने बताया कि जायका योजना के तहत पिरूल से पाइन पीट बनाने की मशीन लगाई गई है। उन्होंने बताया कि इसके बनने से जंगलो से पिरूल का निस्तारण तो होगा ही, जंगलों में आग की घटनाओं पर भी रोक लगेगी।